लहसुन की फसल में खाद एवं उर्वरकों का प्रबंधन!

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लहसुन की फसल में उर्वरको एवं खाद की मात्रा मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर निर्भर करती है। सामान्यतया प्रति हेक्टेयर में लगभग 20 से 25 टन पकी हुई गोबर की खाद अथवा लगभग 5 से 8 टन वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए। इसके साथ ही 1 क्विंटल नत्रजन, 50 kg फास्फोरस एवं 50 kg पोटाश की पर हेक्टेअर आवश्यकता होती है। इसके लिए 175 kg यूरिया, 109 kg डाई अमोनियम फास्फेट एवं 83 kg म्यूरेट आफ पोटाश की भी जरूरत होती है। गोबर की खाद, डी.ए. पी. (DAP) एवं पोटाश की पूरी मात्रा एवं यूरिया की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय मिट्टी मे मिला देनी चाहिए। बची हुई यूरिया की मात्रा को 30-40 दिन बाद खडी फसल में छिडकाव के साथ देनी चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा के उपयोग से उपज मे वृद्धि मिलती है। 25kg ज़िंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर लगभग 3 साल में एक बार उपयोग करना चाहिए। ड्रिप सिचाई एवं फर्टिगेशन का प्रयोग करने से उपज में वृद्धि होती है जल घुलनशील उर्वरकों का प्रयोग ड्रिप सिर्चाइ के माध्यम से करें। ****************************************************************** Management of fertilizers and fertilizers in garlic crop! The amount of fertilizers and fertilizers in a garlic crop depends on the fertility of the soil. Generally about 20 to 25 tonnes of cooked cow dung manure or about 5 to 8 tonnes of vermicompost should be given per hectare. In addition, 1 quintal nitrogen, 50 kg phosphorus and 50 kg potash are required. It also requires 175 kg urea, 109 kg dye ammonium phosphate and 83 kg muret of potash. Half the amount of cow dung, (DAP) and potash and half of urea should be added to the soil during the final preparation of the field. The remaining urea should be given after 30-40 days with spraying in the standing crop. The yield of micronutrients increases the yield. 25kg zinc sulfate per hectare should be used about once in 3 years. Use of drip irrigation and fertilization increases the yield. Use water soluble fertilizers through drip irrigation.

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