सर्दी के मौसम में जब पारा शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे तक पहुँच जाता है तो वायुमंडल में उपस्थित छोटी - छोटी ओस जिसे इंगलिश में Dew कहा जाता है की बूँदे बर्फ़ जेसे ठोस कणों में परिवर्तित हो जाती है और यही कण जब पौधों पर जम जाते है तो इसी जो तुषार या पाला कहते है। पाला का प्रकोप अधिकतर दिसम्बर तथा जनवरी माह में होता है।
पाले से फसल की सुरक्षा के लिए निम्न उपाय करे :-
पाला ज़्यादातर दिसम्बर तथा जनवरी महीने में पड़ता है इसलिए अपनी फ़सल की बुवाई लगभग 10 नवम्बर से 20 नवम्बर के बीच में करे।
यदि पाला पड़ने के संकेत या आशंका नज़र आए तो तुरंत ही फ़सल की सिंचाई कर देना चाहिए इससे फ़सल पर पाला जमने से रोकने में सहायता होगी।
अगर जब भी पाला पड़ने जेसी सम्भावना दिखाई दे तो खेती के या फ़सल के चारों ओर वेस्ट कूड़ा या चारा जलाकर धुआँ कर दें यह कार्य लगभग आधी रात के समय करे क्योंकि पाला पड़ने का प्रकोप सबसे अधिक उसी समय होता है।
पाला पड़ने की आशंका होने पर फ़सल में सल्फ़र या गंधक 0.1% या 1 ml प्रति लीटर का छिड़काव फ़सल पर करे।
जब भी पाला गिरने की 100% सम्भावना दिखे तो फ़सल में डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साइड (dimethyl sulfoxide) नामक रसायन का उपयोग लगभग 75 ग्राम प्रति 1000 लीटर का 50% फ़सल के फूल आने की अवस्था में 10 दिन से 15 दिन के समय अंतराल में करे इससे फ़सल पर पाले का प्रभाव नही होता है।
सल्फ़र या गंधक 15 ग्राम तथा बोरेक्स या सुहागा (Borax (सोडियम टेट्राबोरेट)) 10 ग्राम प्रति पम्प का छिड़काव फ़सल पर करने से सहायता होगी